कश्मीर में सुरक्षा बलों को हथियारबंद आतंकवाद को कुचलने में कामयाबी मिलती जा रही है, तो उन्हें अपने जवानों की शहादत से भी दो-चार होना पड़ रहा है। जिस तरह आतंकी सुरक्षा बलों पर अचानक गोलियां बरसाने लगे हैं, उससे उनकी बौखलाहट समझी जा सकती है। सुरक्षा बल और जांच एजेंसियां हथियारबंद आतंक और वैचारिक आतंक के गठजोड़ को बुरी तरह तितर-बितर करने में जुटी हैं। दोनों स्तरों पर कामयाबी मिल रही है।
पिछले दिनों कुछ मीडिया रिपोर्टों में इस तथ्य की धमाकेदार पुष्टि हुई कि कश्मीर में पाकिस्तान सरकार और वहां के आतंकी संगठनों की मदद हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अलगाववादी नेता ले रहे हैं। वहां से आ रहे अरबों रुपए घाटी में उपद्रव और अशांति के लिए ख़र्च किए जा रहे हैं। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सैयद अली शाह गीलानी गुट के ओहदेदार नईम ख़ान को एक टीवी न्यूज़ चैनल पर यह कहते हुए साफ़-साफ़ सुना गया कि पाकिस्तान कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए सैकड़ों करोड़ रुपए भेज रहा है। इस सुबूत के आधार पर एनआईए की जांच और कार्रवाई से कश्मीर के अलगाववादियों के होश उड़े हुए हैं। कट्टर अलगाववादी सैयद अली शाह गीलानी के दामाद, नईम और रसूख़दार शब्बीर अहमद शाह समेत कुछ आरोपी पकड़े जा चुके हैं। कुछ पर शिकंजा कसा जा रहा है। कह सकते हैं कि देश में पहली बार टैरर फंडिंग पर फिलहाल लगाम कसी जा चुकी है।
स्टिंग ऑपरेशन में शामिल हुर्रियत नेता नईम को यह कहते हुए साफ़ सुना गया कि संगठन की फ़ीस तीन महीने के लिए चार से पांच सौ करोड़ रुपए है। नईम ने कहा कि पाकिस्तान अक्सर क्वार्टरली यानी चार महीने के लिए फंड भेजता है और कभी ये मियाद छिमाही भी होती है। उसने यह भी बताया कि पैसा कई मुस्लिम देशों से दिल्ली में उनके एजेंटों के पास हवाला के ज़रिए आता है और वहां से कश्मीर। नईम ने चौंकाने वाला ख़ुलासा यह किया है कि हवाला के ज़रिए रक़म दिल्ली के बल्लीमारान और चांदनी चौक जैसे इलाक़ों में आती है। नईम ख़ान कह रहा है कि बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में अशांति फैलाने के लिए हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सहयोग से ही 31 स्कूलों और 110 सरकारी इमारतों को आग के हवाले किया गया।
नईम ने माना कि सैयद अली शाह गीलानी के सीधे रिश्ते पाकिस्तान में रह रहे आतंकी सरगना भारत के मोस्ट वांटेड हाफ़िज़ सईद से हैं और वो भी करोड़ों रुपए भेजता है। इसके लिए वह इस्लाम के नाम पर पैसा जुटाता है। नईम ने बताया कि पाकिस्तान से आने वाला पैसा गीलानी, मीरवाइज़ और यासीन मलिक के पास जाता है। फिर वे उसे अपने लोगों में बांटते हैं। जेकेएलफ़ के फ़ारूक़ अहमद डार उर्फ़ बिट्टा कराटे का भी स्टिंग ऑपरेशन किया गया, जिसमें चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन है कि देश के कुछ कॉरपोरेट लॉबीइस्ट भी जम्मू-कश्मीर सरकार को अस्थिर करने के लिए अलगाववादियों की मदद करते हैं। स्टिंग ऑपरेशन में डार ने कहा कि 70 करोड़ रुपए मिल जाएं, तो घाटी के हालात में लगातार छह महीने तक उबाल आता रहेगा।
गीलानी की पार्टी तहरीक-ए-हुर्रियत जम्मू-कश्मीर का नेता ग़ाज़ी जावेद बाबा भी पैसों के ज़रिए घाटी में अशांति का खेल खेले जाने की बात कहता सुना गया। साफ़ है कि यह ख़ूनी खेल दिखावे के लिए कश्मीर की आज़ादी की लड़ाई बताया जाता रहा है। असल में यह कश्मीर माफ़ियागीरी है, जो किसी भी क़ीमत पर अपनी जेबें भरना चाहती है। भले ही कश्मीर की नौजवान पीढ़ी बर्बाद हो जाए, माफ़िया सरगनाओं को अपने घर और परिवार से ही मतलब है।
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This post was last modified on August 5, 2017 10:22 AM