पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने मौजूदा अर्थव्यवस्था पर और वित्त मंत्री अरुण जेटली के कामकाज पर सवालिया निशान लगाकर यह बहस गर्म कर दी है कि क्या भारतीय अर्थव्यवस्था ग़लत दिशा में जा रही है? सियासी वार-पलटवार के बीच हॉन्गकॉन्ग एंड शंघाई बैंकिंग कॉर्प यानी एचएसबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल आर्थिक सुधारों के लिए उठाए गए कड़े क़दमों की वजह से जीडीपी के आंकड़े में कमी भले आई, लेकिन विकास की प्रवृत्ति पर नज़र डालें, तो अगले 10 साल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना जाएगा
एचएसबीसी ग्लोबल वित्तीय सेवा कंपनी है। लिहाज़ा उसकी राय माइने रखती है। एचएसबीसी के मुताबिक़ आज औसत ग्लोबल जीडीपी दर मात्र तीन फ़ीसदी है और भारत में आर्थिक सुधारों का कुछ प्रतिकूल असर फ़िलहाल भले ही देखने को मिल रहा हो, लेकिन देश जिस दिशा में बढ़ रहा है, उसे देखते हुए यह तय है कि एक दशक के अंदर वह जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ देगा। यशवंत सिन्हा, अरुण जेटली और पी. चिदंबरम की बयानबाज़ी दुर्भाग्यपूर्ण ही कही जाएगी
अप्रैल से जून, 2017 की तिमाही में भारत की विकास दर तीन साल के सबसे निचले स्तर 5.7 फ़ीसदी पर पहुंच गई है। सिन्हा और जेटली के बीच इसे लेकर ही ज़ुबानी जंग चल रही है। कांग्रेस तो पहले से ही निशाना साधे बैठी है। लेकिन एचएसबीसी का मानना है कि सुधारों की वजह से विकास दर में कमी का सिलसिला वर्ष 2019-2020 में या उसके कुछ दिन बाद बंद हो जाएगा। हालात सुधर जाएंगे। साफ़ है कि इस नज़रिये की पुष्टि की जाए, तो भारत की अर्थव्यवस्था सही दिशा में ही जा रही है
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