दुनिया अभी भारत में हुए 500 और हजार के नोटों की नाकाबंदी से उभरी भी नही है कि हाल ही में भारत सरकार के जरिये बाजार में आये 2 हजार के नोटों को वापस लिए जाने की खबरें भी नजर में आने लगी है लेकिन इन खबरों में क्या सच्चाई है और इन दावों में क्या हक़ीक़त है आइये इस पर विस्तार से चर्चा करते है।
ऐतिहासिक कदम या भूल
नोटबन्दी यानि डीमॉनेटाइजेशन पिछले साल हुआ भारत सरकार के जरिये उठाया गया एक ऐसा कदम था जिसने भारत की समग्र आर्थिक नीतियों को अर्श से फर्श पर ला कर रख दिया था । मोदी सरकार के करिए अपने इस कदम को बड़ा ही साहसिक और ऐतिहासिक बताने के साथ ही इसके दूरगामी परिणाम होने के दावे किए गये थे लेकिन आज सम्पूर्ण भारत ही नही विश्व के महानतम अर्थशास्त्री भी उसे गलत वक़्त पर उठाया गया गलत कदम बताने से भी गुरेज नही कर रहे लेकिन ऐसा लगता है बीजेपी हुकूमत इन सब आलोचनाओं को नकार कुछ और ही करने की उम्मीदें अपनी नजरो में सँजोये हुए है।
प्राप्त सूत्रों के अनुसार भारत सरकार जल्द ही डिजिटलीकरण हेतु अगले डीमॉनेटाइजेशन का कदम भी उठा सकती है। हालांकि मीडिया में फ़ैल रहे इस खबर की कोई सरकारी पुष्टि नही हो पाई लेकिन फिर भी मोदी सरकार और उनके आला अफसर वक़्त जो बयान देते रहें हैं उससे तो यही लगता है कि नोटबन्दी का बिगुल एक बार फिर से बजने वाला है। आपको क्या लगता है अगला नोटबन्दी अभियान कितना सही रहेगा।
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