Jio Prime membership

रिलायंस जियो के भारतीय बाजार में कदम रखते ही तहलका सा मचा दिया था। लोगों में रिलायंस जियो की मुफ्त सर्विस को लेकर एक अलग ही उत्साह था हर कोई बस जियो के ही बारे में बातें कर रहा था लेकिन अब वो उत्साह धीरे धीरे कम होता जा रहा है और उसका नतीजा रिलायंस जियो के यूज़र्स में निरन्तर होने वाली कमी के रूप में देखा जा सकता है। रिलायंस जियो के आने के बाद भारतीय बाजार ने प्रतिस्पर्धा का बाजार कुछ यू गर्म हुआ कि सालों से मौजूद एयरटेल और वोडाफोन जैसी कम्पनियों को भी अपने डाटा पैक में भारी कटौती करने पर मजबूर हो जाना पड़ा। भारतीय इतिहास में ये पहला मौका था जब टेलीकॉम कंपनियों ने डाटा और काल पैक 50 फीसद से भी कम कर दिए और ये सब जियो के हैप्पी न्यू इयर ऑफर की बदौलत ही मुमकिन हो पाया, लेकिन सवाल तो सबसे बड़ा यही है कि क्या प्रतिस्पर्धा की इस जंग में जियो अपने उसी रुतबे को बरकरार रख पायेगा जिसकी बदौलत उसने कुछ ही दिनों में 10 कऱोड उपभोगताओं का आंकड़ा पार कर लिया।

जियो के हैप्पी न्यू इयर ऑफर के खत्म होने के बाद भारतीय बाजार की उपभोग्तावादी संरचना बिलकुल तब्दील हो चुकी है, जियो के धन धना धन ऑफर के बाद वोडाफोन से लेकर एयरटेल और आइडिया जैसी कम्पनियों ने भी अपने सस्ते डाटा पैक लांच किए जोकि जियो को कड़ी टक्कर देते हुए नजर आ रहे है और उसका असर जियो के यूज़र्स में होने वाली लगातार कमी के रूप में साफ़ तौर पर देखा जा सकता है।

भारत सरकार के उपक्रम यानि बीएसएनएल भी इस वक़्त भारत के सबसे सस्ते डाटा पैक 444 में 300 जीबी से ज्यादा का डाटा देने के साथ प्रतिस्पर्धा की इस जंग का हिस्सा बन चुकी है। ऐसे में ये सवाल सबके जहन में जरूर आ रहा है कि क्या रिलायंस जियो अपनी जगह बरकार रखने के लिए अपनी सर्विस को और भी सस्ता करेगा। बीएसएनएल से लेकर आइडिया और एयरटेल के खुल कर मैदान में आ जाने के बाद रिलायंस जियो का सफर अब आसान नजर नही आ रहा है। जीएसटी के लागू होने बाद जबकि टैक्स रेट 15 से 18 फीसद हो जायेगा तब डाटा पैक के रेट कम करना जियो के लिये बेहतर सौदा साबित नही होगा।

एयरटेल और वोडाफोन जैसी कम्पनियों से रिलायंस जियो का मुकाबला इस लिए भी कठिन है क्योंकि जियो अभी अपने नेटवर्क का पूरी तरह से विस्तार नहीं कर पाया है, देश के अधिकांश हिस्से अभी भी जियो की पहुंच से बाहर है और ऐसे में एयरटेल और वोडाफोन या आइडिया जैसी कम्पनियां जिनका नेटवर्क देश के कोने कोने में फैला हुआ है उनका मुकाबला करना जियो के लिए आसान नही रहेगा। जियो के आने के बाद भारतीय बाजार में मौजूद टेलीकॉम कंपनियों में शुरू हुई प्रतिस्पर्धा की दौड़ ने डाटा पैक और कॉलिंग रेट को भारतीय इतिहास के सबसे निचले पायदान पर ला कर रख दिया था । लेकिन 1 जुलाई को जीएसटी के लागू होने बाद सूरतेहाल फिर तब्दील होने वाली है।

भारत सरकार अभी तक टेलीकॉम कम्पनियो के रिचार्ज पर 15 फीसद टैक्स लगाती आ रही थी लेकिन जीएसटी के लागू होने के बाद ये टैक्स रेशियो 18 फीसद तक बढ़ा दिया गया है जिसके नतीजे में मोबाइल रिचार्ज के कूपनों के दाम जल्द ही आसमानों को छूने वाले है और इसका सबसे बड़ा असर उपभोगताओं पर पड़ने वाला है। जाहिर है टेलीकॉम कम्पनियो इस टैक्स को जनता से ही वसूलेगीं ऐसे में जियो जैसे कम्पनियों को भी अपने टैरिफ प्लान्स में बढ़ोतरी करने पर मजबूर हो जाना पड़ेगा।

क्या है एक्सपर्ट्स की राय

अगर एक्सपर्ट की माने तो आने वाले वक्त में हमें भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में एक बड़ी जंग देखने को मिल सकती है, यूज़र्स रिलायंस जियो के सस्ते होने के कारण उससे जुड़े थे और वो इसे एक विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर रहे थे ऐसे में अगर जियो अपने यूज़र्स को पुरानी फीलिंग और पुराना माहौल नही दे पाता तो निस्संदेह रिलायंस जियो यूज़रों में भारी कमी देखी जा सकती है और ऐसे में जियो को देश के कुछ हिस्सों में अपनी सर्विस बन्द करने पर मजबूर हो जाना पड़ सकता है।

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