आम तौर पर ये ख्याल किया जाता है एक व्यक्ति 50 साल की उम्र में पहुंचने के बाद एक सुकून और धार्मिक जिंदगी गुजारने की कोशिश करेगा लेकिन इस दुनिया की छोड़िये ही हमारे इस भारत में ही एक ऐसा शख्स मौजूद है जो 97 साल की उम्र में अपना पोस्ट ग्रेजुएट मुकम्मल करने के मक़ासिद से नालन्दा के परिसर में बैठा एमए का पेपर दे रहा है।
पटना के राजेंद्र नगर में रोड नम्बर 5 पर रहने वाले राजकुमार वैश्य पर पढाई का कुछ ऐसा जूनून सवार है कि उन्हें जिस वक्त सुकून की जिंदगी बसर करने के बारे में सोचना चाहिए उस वक़्त वो नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में हर रोज 3 घण्टे बैठ कर अर्थशास्त्र के सवालों के जवाब देते हुए नजर आते है।
राजकुमार वैश्य की हड्डियां भले ही कमजोर पड़ी हो लेकिन उनके हौसले आज भी बुलन्द है और शायद यही वजह है कि वो अपने हौसलों के दम पर इन कमजोर हड्डियों के सहारे अर्थशास्त्र के पूरे प्रश्रपत्र को हल कर के दिखा देते है। शिक्षा के प्रति अपने इस जूनून को लेकर राजकुमार वैश्य कहते है कि मैंने सोचा क्यों न दुनिया को दिखाई जाए कि हौसले अगर बुलन्द हों तो उम्र और हालात किसी भी तरह काम के आड़े नही आती। इसके जरिये मैं अपने युवाओं को बता रहा हूँ कि हमें किसी भी हाल में हार नही माननी चाहिए।
राजकुमार वैश्य की जिंदगी के बारे में बात करें तो उनका जन्म 1920 ई में बरेली में हुआ उन्होंने बरेली ही से हाईस्कूल और इंटर को तालीम हासिल की और फिर स्नातक के लिए आगरा विश्वद्यालय में दाखिला लिया जहाँ वो बेहतरीन नम्बरो से पास हुए और फिर इसी के बाद उनकी झारखंड के कोडरमा में नौकरी लग गयी।
राजकुमार वैश्य अब रिटायर्ड हो चुके है लेकिन उनका जज़्ब-ए-इश्क अभी भी सलामत है और ये उसी का नतीजा है कि वो आज 97 साल की उम्र में नालंदा के परिसर में बैठे कागज के पन्नो पर लिखे कुछ सवालों के जवाब देते हुए नजर आ रहे है।
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