एकदिन नारंगी लाल भरी दुपहरी सिर पर टोपी और मफलर बांध कर सड़क पर टहलने जा पहुंचा। जो भी उसे देखता, जो जोर जोर से ठहाका मार कर हंस पड़ता। लेकिन नारंगी लाल हंसी से बेपरवाह अपनी छाती चौंड़ी करके घूमता रहा। तभी वह एक चाय की दुकान से गुजरा तो एक आवाज आई, ‘’अरे ओ, नारंगी लाल, यह कैसा हुलिया बनाए घूम रहे हो?”
नारंगी लाल ने पलट कर देखा, तो समझ आया कि यह आवाज चाय की दुकान के मालिक रूब्बन अली ने लगाई थी।
नारंगी लाल ने पास आकर कहा, ‘’रूब्बन मियां, यह कोई अइसन वइसन हुलिया नहीं है। यह हुलिया हमें मुख्यमंत्री बनाएगा।‘’
‘’क..क्या..? तुम्हारा यह जोकर जैसा हुलिया तुम्हें मुख्यमंत्री बनाएगा। कइसन बात करत हो भइया,’’ रूब्बन मियां चौंक कर बोले।
‘’हम ठीक हई तो कहत हैं। अब देखो, केजरीवाल भी सफेद टोपी पहनता है, गर्मी में भी गमछा लपेटे रहता है, तभी तो ऊ बना न दिल्ली का मुख्यमंत्री,’’ नारंगी लाल ने कहा।

‘’अरे ऊकी सेंग न करो। ऊ तो जादूगर है। कुछ कर सकत है और कुछ भी बन सकत है,’’ रूब्बन मियां ने कहा।
‘’ई ऊकी सेंग न है। ई तो टोटका है। काम कर गवा तो हमरा सीना 56 इंच का हो जावेगा। अब देखो हमरे घर में पहले से ही गृहमंत्री मौजूद है। बस एक ही बात की कमी है, मुख्यमंत्री कोई न हेगे,’’ नारंगी लाल ने कहा।
‘’गृहमंत्री, अरे तुम का खुद को राजघराने का राजा रजवाड़ा समझते हो क, हम का बेवकूफ समझ रहे हो क,’’ रूब्बन मियां झल्लाकर बोले।
‘’अरे तुम समझे नाहीं। हमरी जो पत्नी है न वह हमरे घर की गृहमंत्री है न, यदि हमऊ बन गए मुख्यमंत्री तो तुम सबकी शान बढ़ जाएगी। बस इत्ता ही चाहते हैं हम,’’ नारंगी लाल आंखें मटकाकर बोला।
सुनकर रूब्बन मियां को गुस्सा आ गया। वह गुस्से से बोला, ‘’बड़ा आया अरविंद केजरीवाल की सेंग करने वाला। अरविंद केजरीवाल तो ऊ चीज है, जो खांस खांस कर चुनाव जीत जाता है। और जरा तुम खांसे न तुमरा फेफड़ा मुंह से बाहर आ जावेगा। गर्मी में मफलर बांधा तो तुमरा भेजा पिघल कर नाक से बह जावेगा।‘’
‘’तुम जलते हो मुझसे। जई से हमरा मनोबल गिरा रये हो,’’ नारंगी लाल चिढ़ कर बोला।
‘’तुम भरी जवानी में सठिया गए हो। जई से केजरीवाल जोक्स बनने चले हो। मोदी जी ने भी खूब झाड़ू लगा कर ऊकी सेंग करी थी। लेकिन कछु उखाड़ नई पाए। तो तुम किस खेत की मूली हो,’’ रूब्बन मियां ने कहा।
सुनकर नारंगी लाल गुस्से से पैर पटकते हुए चला गया। दिल्ली में पारा 48 डिग्री था। ऊपर से वह मफलर बांधें था। इसलिए उसके दिमाग में गर्मी चढ़ गई और वह गश खा कर गिर पड़ा। मुहल्ले वाले उसे उठाकर घर लाए। ठीक होने के बाद उसका उसके सिर से मुख्यमंत्री बनने का भूत भी उतर गया।