H-1B वीज़ा की संपूर्ण जानकारी: प्रक्रिया, पात्रता, नया शुल्क और ताजा अपडेट

H-1B वीज़ा अमेरिका की एक गैर-स्थायी कार्य वीज़ा श्रेणी है, जो अमेरिकी कंपनियों को विशिष्ट क्षेत्रों में विदेशी पेशेवरों को अस्थायी रूप से नियुक्त करने की अनुमति देती है। ये पेशेवर आमतौर पर आईटी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, विज्ञान व गणित जैसी क्षेत्रों में होते हैं, जहाँ न्यूनतम योग्यता स्नातक डिग्री होती है.

पात्रता और नियम

  • नौकरी “Specialty Occupation” होनी चाहिए, जिसमें विशेष ज्ञान व तकनीकी कौशल की आवश्यकता होती है।
  • आवश्यक शैक्षिक योग्यता: कम-से-कम संबंधित क्षेत्र में बैचलर डिग्री।
  • अमेरिकी कंपनी को USCIS (US Citizenship and Immigration Services) के पास वीज़ा के लिए आवेदन करना अनिवार्य है।
  • अधिकतम 6 साल तक वीज़ा बढ़ाया जा सकता है (प्रारंभिक अवधि 3 वर्ष).

वीज़ा आवेदन की प्रक्रिया

  • अमेरिकी कंपनी द्वारा नौकरी प्रस्ताव।
  • कंपनी को US Labor Department से Labor Condition Application (LCA) दायर करनी होती है।
  • USCIS के पास I-129 फॉर्म और आवश्यक दस्तावेज़ दायर (ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व लॉटरी सिस्टम लागू है)।
  • वीज़ा जारी रहने पर कर्मचारी का प्रवेश, और कार्य आरंभ.

वार्षिक कोटा और लॉटरी प्रणाली

  • हर साल निर्धारित सीमा (Annual Cap) के अंतर्गत वीज़ा जारी होते हैं।
  • यदि आवेदन कोटा से ज़्यादा होते हैं तो लॉटरी के द्वारा चयन किया जाता है.

नया नियम और शुल्क परिवर्तन (2025)

  • 21 सितंबर 2025 से, हर नए H-1B वीज़ा आवेदन पर सालाना $100,000 (लगभग ₹83 लाख) शुल्क देना अनिवार्य हुआ है। अभी तक यह आवेदन शुल्क $2,000 से $5,000 के बीच था।
  • ये नया शुल्क मुख्य तौर पर उन आवेदकों पर लागू होगा जो अमेरिका के बाहर हैं या नए आवेदन दायर कर रहे हैं।
  • यदि कोई H-1B वीज़ा धारक 21 सितंबर के बाद अमेरिका में प्रवेश करना चाहता है, तो कंपनी को $100,000 फीस देनी होगी, अन्यथा ऐसे कर्मचारियों का प्रवेश वर्जित रहेगा।
  • पहले यह शुल्क केवल आवेदन के समय लिया जाता था, अब हर वर्ष देना होगा.

इसका प्रभाव

  • भारतीय पेशेवर: H-1B वीज़ा धारकों में 71% भारतीय हैं, जिसे सबसे बड़ा असर पड़ेगा.
  • आईटी एवं टेक कंपनियां: अमेज़न, टीसीएस, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा जैसी कंपनियों के हज़ारों कर्मचारी H-1B वीज़ा पर हैं.
  • कंपनियों की लागत बढ़ेगी जिसमें छोटे आईटी फर्म सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे।
  • भारतीय प्रवासियों में यात्रा और भविष्य को लेकर चिंता, अमेरिका में भर्ती और व्यवसाय को लेकर अनिश्चितता बढ़ी.

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • H-1B “Dual Intent” वीज़ा है, यानी धारक ग्रीन कार्ड (स्थायी नागरिकता) के लिए भी आवेदन कर सकता है।
  • कंपनी को दिखाना होगा कि वेतन अमेरिकी मानकों के अनुसार दिया जाएगा और किसी अमेरिकी कर्मचारी की नौकरी पर प्रभाव नहीं पड़ेगा.

लाइव अपडेट और स्पष्टीकरण

  • अमेरिकी प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि $100,000 की सालाना फीस केवल नए आवेदनों/प्रवेश पर लागू होगी, वर्तमान में अमेरिका में रह रहे H-1B धारकों पर फिलहाल लागू नहीं होगी.
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