हिन्दी शायरी
मैंने तुझे अपनी आदत बनाई है..
और माँ कहती है अच्छी आदत बदलनी नहीं चाहिए।
तुम थक तो नहीं जाओगे इन्तेजार में तब तक,
मैं मांग के आऊं खुदा से तुम को जब तक…
फिर कभी सुलझाएंगे जिंदगी के मसले भाई
मसरूफ हैं अभी ईयर-फोन सुलझाने में..
नाम तेरा ऐसे लिख चुके है अपने वजूद पर..
कि तेरे नाम का भी कोई मिल जाए तो भी दिल धड़क जाता है।..
मैंने इज़हार तो किया ही नहीं..
जरूर उसने आँखों को पढ़ लिया होगा।..
ना जाने कोई क्यूँ मिलता है..
जब के उसे मिलना ही नही होता।..
…………..By Bhanesh Aswal
This post was last modified on December 13, 2020 7:13 PM