हिंदी शायरी: मानता हूँ कि गुस्सा कर देता हूँ..

हिन्दी शायरी

मानता हूँ कि गुस्सा कर देता हूँ,
गुस्से मे कुछ बोल देता हूँ,
पर कुछ समय बाद मान भी जाता हूँ
मानता हूँ कि तुम पर हक जताता हूँ
क्योंकि तुम्हें अपना मानता हूँ,
मानता हूँ कि जल्दी बुरा मानता हूँ
क्योंकि दूसरों से बात करता देख
मुझे जलन होती है,
और चाहता हूँ कि तुम मेरे साथ रहो क्योंकि तुमसे प्यार जो करता हूँ ।।

बात कुछ इस तरह है कि जो पल तुम्हारे साथ बिताए उन पलों मे एक सुकून है और आने वाले पल आपके साथ ही बिताने है,
क्योंकि जो पल तुम्हारे बिना बिताए उन पलों से जिंदगी कट रही थी लेकिन तुम्हारे साथ जिंदगी जी जा रही है।।

इरादा होता गलत तो कब का छोड़ देते,
इरादा साथ रहने, निभाने और वफा का है,
इसलिए साथ हूँ,
अगर आयेंगे मुश्किल तो अब परवाह नही है,
क्यों कि अब तुम्हें अपना मान चुके हैं।

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कुछ भी न मिले मुझे तुमसे तब भी कोई बात नही,
क्यों कि मेरे लिए तेरा होना काफी है।। ❤

तेरा होना ही जिंदगी का एक किस्सा है मेरा,
तेरा होना ही एक अहम हिस्सा है मेरा,
मेरा प्यार सिर्फ शब्दों से नहीं,
अपनी रूह से पूछ रूह का रूह तक का रिश्ता है मेरा ❤

अब क्या कहूँ तुम्हारे बारे में
तुम्हारे साथ खामोश भी रहूँ तो बात हो जाती है क्योंकि,
तुम में, तुम से तुम पर ही मेरी जिंदगी पूरी हो जाती है।। ❤🥰😊

कोई शब्द नही है तुम्हारी कमी को पूरा करने के लिए,
बस अधूरा लगता है तेरे बिना 🥺🥺🥺🥺❤🫂🫂🫂

संपूर्ण तो होगा ही प्रेम,
जिसने बिन फेरों का आपको अपना मान लिया
मतलब उसने प्रेम में अग्नि से पहले ईश्वर को साक्षी मान लिया।।

This post was last modified on March 9, 2025 8:22 PM

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