Dard bhari Hindi Shayari , शायरी दर्द भरी

दर्द भरी शायरी

मुझमे चाहत की आग रहने दे
लोग कहते है बहुत कुछ कहने दे
वक्त की चादर पे नसीब उकेर दूगा मै
तब तलक ये दाग दामन पे रहने दे

मेरे अस्कों से भीगी हैं
जाने कितनी तस्वीर तुम्हारी
तुम झलक दिखाकर चली गयी
और बदल गयी तकदीर हमारी

एक पत्थर को पूजा मैने दिल मे अपने मंदर बनाकर
वो फिर भी प्यासा छोड़ गया मुझको पूरा समंदर पिलाकर
मंदिर = मंदर (पंजाबी उच्चारण)

जाना तूने जाना क्या
दिल से दिल लगाना क्या
छलक उठे आंखों से जिसका
उसका दर्द छुपाना क्या

कहाँ किस हाल में रहा
तेरे रूठ जाने के बाद
घर लौट ही आते हैं परिंदे
मौसम बदल जाने के बाद

तेरे मुस्कुराने से दर्द
कैसे कम न होता
हर मर्ज़ जाता गया है
तुझसे दिल लगाने के बाद

जेहन का आईना है जो भी बहर लिखता हूँ ,
अब हर शायरी तेरे मद्देनजर लिखता हूँ

क्यों रह जाते हो हर बार मुठ्ठियां भीचकर
मार देना इस बार तमाचा खींचकर
यही सच्ची उन्हें सलामी होगी
चले गए जो लहू से धरती सींचकर

By हिमांश श्रीवास्तव

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