हिन्दी शायरी
अपनी काली घनी जुल्फों से बादल बना रखा है
मियां! उसने अच्छे-खासों को पागल बना रखा है
खुद ही चुनोगे रस्ता मुझसे दूर जाने वाला
फिर दिल की दुहाई, महोब्बत का पैगाम दोगे
मेरे ख्वाब में डूबे हुए,सिमटोगे उनकी बांहों में
कहो इस हंसी खता को कैसे अंजाम दोगे
टुकडे-टुकडे कर बिखेर देता हूं दिल अपना
समेटकर ले आती हैं यादें तुम्हारी
पढ़ा-लिखा, सुना, समझा सब भूल जाता हूं
याद रहती हैं तो बस बातें तुम्हारी
रोशनी कम भी हो सकती थी मगर तू आ गई
रूह के निकलने से पहले मुझमें समा गयी
जान भी ले सकता था सर्द मौसम ये काली घटाएं
तू लिहाफ सी लिपट गई तू पीपल सी छा गई
तेरी उम्मीद भर से बिखरी है
चाँदनी सी जिंदगी में
तुम मिलो एक दिन
तो चाँद निकल आए
न सिकन्दर अकबर न शेरशाह बना दे
खुदा! मुझे उसके दिल का शहंशाह बना दे
माना कि बहुत की हैं मैने खताएं मगर
उसकी अदालत में मुझको बेगुनाह बना दे
हम तेरी शायरी के दीवाने हैं ग़ालिब
हुस्न फीका पड़ गया तो क्या करें
दोनो तरफ पट वाला सिक्का हवा में उछाल दूं
सोचता हूं तेरी जीत का तोहफा तुझे इस साल दूं
रोशनी कम भी हो सकती थी मगर तू आ गई
रूह के निकलने से पहले तू मुझमें समा गई
जान भी ले सकता था ये सर्द मौसम, ये काली घटायें
तू लिहाफ सी लिपट गई तू पीपल सी छा गई
जिंदगी में कई उजले सवेरे गए
फूलों से चुनकर रंग बिखेरे गए
दस्तूर-ए-जिंदगी से न बच सके मगर
वक्त की साजिश में हम भी घेरे गए
तेरी उम्मीद भर से बिखरी है
चांदनी सी जिन्दगी में
तुम मिलो एक दिन
तो चांद निकल आए
हम अरमानों की फुल्झडी जलाते रह गए
प्यारी-प्यारी बातों की चकरी घुमाते रह गए
वो पिया संग खेल आयी होली
हम बस दिवाली मनाते रह गए
दोनो तरफ पट वाला सिक्का हवा में उछाल दूं
सोचता हूं तेरी जीत का तोहफा तुझे इस साल दूं
इश्क बस इश्क होता है
झूठा या सच्चा नहीं होता
इश्क में समझदार हो जाना
कभी भी अच्छा नहीं होता
मेरे जैसे हजारों पडे है और तेरे जैसे भी
मेरे जैसा कोई नहीं है और तेरे जैसा भी
By हिमांश श्रीवास्तव
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इश्क बस इश्क होता है
झूठा या सच्चा नहीं होता
इश्क में समझदार हो जाना
कभी भी अच्छा नहीं होता …….. हिमांश श्रीवास्तव जी
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ। कमाल का वर्णन वाह !
शुक्रिया धुव्र सिंह जी