मंजिल पाने के लिए सफर अभी बहुत है
जिंदगी ज्यादा बड़ी तो नही पर इसकी फिक्र बहुत है
मार डालती कब की दुनिया हमें
लेकिन माँ बाप की दुवाओ में असर बहुत है।।
अच्छा लगता है,
अच्छा लगता है तेरे साथ चलना,
अच्छा लगता है तेरे साथ रुकना,
अच्छा लगता है तेरे साथ ठेहरना,
अच्छा लगता तुझसे बात करना,
तुझसे लड़ना, प्यार करना
अच्छा लगता है।
जज्बात भी कितने खूबसूरत होते हैं,
जो पास नही फिर भी हर पल साथ होते हैं
जिंदगी, जिंदगी नही है जब तक आपका मन पसंद शक्स आपके पास न हो।।
आजकल लफ्ज बीमार पड़ गयें हैं,
लगता है एक खुराक तेरे दीदार की चाहिए
शायर के लिए उसकी शायरी प्यार है,
वैसे ही मेरे लिए तुम।।
कहाँ से शुरू, कहाँ पर खत्म करू मैं,
माँ का लाड-प्यार कैसे बयाँ करूँ मैं।।
मैंने इश्क़ इजहार क्या कर दिया,
तुमने तो कद्र करनी ही छोड़ दी।।
पसंद नापसंद का अनुभव नही मुझे
मिडिल परिवार का लड़का हूँ
समझौते की आदत है मुझे
मजबूरियाँ लेजाती है परदेस
वरना मौज तो अपने गाँव मे आती है
खामोशियों को बड़ी खामोशी से सुनो
ये वो कहती है,
जो ज़ुबाँ कहने से डरती है।।
ये मौत भी अजीब सच है,
कोई आने के बाद मानता ही नही।।
ये उम्र और ज्यादा सोचना,
एक मुसीबत सी बनती जा रही है
दिन ये करने, वो करने मे निकले जा रहे हैं।
बात सिर्फ priority की होती है जनाब
वरना लोग भरे पड़े हैं maturity लेकर
हाथ भरे पड़े हैं लकीरों से
और तक़दीर का कोई पता नही।।
जिंदगी का सफर भी कितना अजीब है,
शामें कटती नहीं और साल गुजरते चले जा रहें हैं।।
लाजमी है मेरा खुद पर गुरूर करना,
किसी ने चाहा है हमें तो हम मामूली तो हो नही सकते।।
अच्छा लगता है तुम्हें रूठ के मनाने में,
तुम हाँ तो कहो मोहतरमा हम तैयार है तुम्हें अपनाने में✍️”अंकुश”☺😊
एक साथी चाहिए साथ निभाने के लिए,
जो हमसे बात करे हमे अपनाने के लिए।।
समय लेना मोहतरमा साथ निभाने वाले का,
जब न मिले कोई तो मौका देना हमें अपनाने का,
इस कलयुग के जमाने में, जिस्म से नही रूह से प्यार करने वाला बनूँगा,
मायूस होने पर तुम्हें प्यार के दो बोल कहकर तुम्हारे चेहरे मे एक प्यारी सी मुस्कान लाकर, तुम्हारा हाथ मागुंगा,
तुम्हारे गुस्से को प्यार में बद लूँगा,
चलो बताना कोई न मिले तो मोहतरमा तुम्हारा साथ निभाने वाला बनूँगा..!! “अंकुश” ✍️
कुछ पल मेरे साथ बिताना,
अपने दिल की बात तुम्हें बतायेंगे,
समझ जाओगे अगर मुलाकात से तो ठीक नही समझे तो उसे अपनी ज़ुबाँ से बता देंगे।।
सब जी रहें हैं कपड़े बदल-बदल कर,
लेकिन सब जायेंगे एक कपड़े पर,
वो भी कन्धे बदल-बदल कर,
घर जाना भी एक मंजिल सा हो गया है,
ख्वाबों में तो हर रोज पहुँच जाता हूँ,
पर आँख खुलते ही उसी जगह रह जाता हूँ।। 😔😔
“अंकुश”
तुम्हें पाना या शादी करना मेरा ख्वाब नही है,
तेरे हर दुःख में, सुख मे,
तेरे हर बुरे और अच्छे वक़्त में,
तेरे हर उतार-चढाव में,
तेरे साथ रहना तुझे संभालना,
तुझे खुश देखना मेरा ख्वाब है।।
… “अंकुश” ✍️✍️